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Delhi, India

Kabhi kabhar ye bhi haadsa dikh jaata hai

Pravin Gupta
कभी-कभारयेभीहादसादिखजाताहै
मेराबापदौड़ताहांफतादिखजाताहै
सोजाताहूँगरमौतकोगलेलगा
मेराख़्वाबजागतादिखजाताहै
तूअपनेबिस्तरतकसेनहींउठपाता
मुझेलंगड़ाभागतादिखजाताहै
पैरलगाकरगिरादेताहूँउनलड़कोंको
हाथकोईजोलड़कियोंकामाँगतादिखजाताहै
जबभीदुबारामोहब्बतकरनेकीसोचताहूँ
प्रवीन,मेरासायाकांपतादिखजाताहै